नक्सलियों के खात्मे के लिए जुटा अमित शाह के ये खास अफसर, मददगारों पर गिरेगी गाज

देश में वामपंथी उग्रवाद का पूर्ण खात्मा करने वाली खास योजना पर काम शुरू हो गया है। नक्सलियों को अब एक साथ कई मोर्चों पर चोट झेलनी पड़ेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसके लिए जिस पूर्व आईपीएस अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है, वे अपनी राह पर निकल चुके हैं। उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर, सुकमा और जगदलपुर का दौरा पूरा कर लिया है। कई राज्यों में फैले वामपंथी उग्रवादियों को धन, हथियार और अन्य तरह की मदद पहुंचाने वालों पर सबसे पहले गाज गिरेगी।



 

खास बात है कि ये अधिकारी सीआरपीएफ के डीजी रहे हैं और इनके पास नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने का लंबा अनुभव है। उनका सबसे चर्चित कार्यकाल तमिलनाडु पुलिस के विशेष कार्य बल के प्रमुख के रूप में रहा था, जब 2004 में कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को मौत के घाट उतारा गया।

नक्सलवाद से निपटने का है खास अनुभव


हाल ही में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1975 बैच के अधिकारी के. विजय कुमार को केंद्र शासित प्रदेश जेके और लेफ्ट विंग चरमपंथ (एलडब्ल्यूई) प्रभावित राज्यों के सुरक्षा संबंधी मामलों पर गृह मंत्रालय को सलाह देने के लिए नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में बिगड़े हालात को सामान्य बनाने में उनका खास योगदान रहा है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक पद से रिटायर होने के बाद उन्हें गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार (एलडब्ल्यूई) के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उन्होंने हैदराबाद में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। अब एक बार फिर के. विजय कुमार को केंद्रीय गृह मंत्रालय में सलाहकार नियुक्त किया गया है। जब वे सीआरपीएफ के डीजी थे, तो उस वक्त नक्सलवाद प्रभावित इलाकों खासतौर से छत्तीसगढ़ और झारखंड में कई बड़े ऑपरेशन चलाए गए थे।

नक्सलियों के मददगारों को ढूंढेंगे


जिस तरह कश्मीर में आतंकियों और उनके मददगारों को ढूंढ-ढूंढ कर बाहर निकाला जा रहा है, अब उसी तर्ज पर नक्सलवाद का खात्मा किया जाएगा। सुरक्षा बलों के अधिकारियों के अनुसार, शनिवार और रविवार को के. विजय कुमार ने बीजापुर, सुकमा और जगदलपुर में लंबी बैठकें की हैं। ऐसी संभावना है कि अब कई राज्यों में नक्सलियों पर एक साथ वार कर दिया जाए।

अभी तक यह देखने में मिलता है कि सुरक्षा बलों पर हमला कर नक्सली जंगल में छिप जाते हैं। उनकी तलाश में सुरक्षा बल ऑपरेशन शुरु करते हैं, लेकिन यह कार्रवाई उसी वक्त न होकर कई दिनों बाद की जाती है।

ऐसे में नक्सली आसानी से अपना ठिकाना बदल लेते हैं। अब यह होगा कि जंगल के अंतिम सिरे से भी नक्सलियों को खोज निकाला जाएगा। नक्सलवाद के खिलाफ शुरु हो रहे इस ऑपरेशन में विभिन्न अर्धसैनिक बलों की करीब सौ बटालियन हिस्सा लेंगी।साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, आईबी और सीआरपीएफ की कोबरा इकाई भी विशेष ऑपरेशन में भाग लेंगी।


नक्सलवाद को खत्म कर ही लेंगे दम


नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में अभी 85 से अधिक बटालियन तैनात हैं। अधिकांश जगहों पर सीआरपीएफ ने मोर्चा संभाल रखा है। जंगल के आखिर तक अगर कोई सेना पहुंचती है तो वह सीआरपीएफ है। इसके अलावा कांकेर और नारायणपुर में बीएसएफ व आईटीबीपी की कुछ बटालियन हैं। सुरक्षा बलों के एक अधिकारी का कहना है कि केंद्र सरकार अब एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। जिस तरह से कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ी जा रही है, वैसे ही अब नक्सलवाद पर बड़ा वार होगा।